कवि र.ग.दांडेकर - लेख सूची

‘कर्मसिद्धान्त पंचक’

एक सुखी एक दुःखी। एक गाडीत एक पायी। दुराचारी मौज करी। सदाचारी दुःख करी॥1॥ कुणी महाली एक। कुणी एक झोपडीत॥ कुणी एक दिगंबर। कुण्या दुजास पीतांबर।।2।। एकास ते भोजन। एकासन जेवण। सर्व करा सहन। कर्म अपुले म्हणून ।।3।। तत्त्वज्ञान असले। माणुसकी विसरले॥ कर्मफल समजले। देवावर सोडले।।4।। धिक्कार दैववादाचा। विसर माणुसकीचा॥ माणुसकी एक धर्म। बाकी सारे …