महात्मा गांधी ने ‘हिन्द स्वराज’ के द्वारा सत्ता के विकेंद्रीकरण को दृष्टि दी थी, क्योंकि उन्हें गाँव, लोग, उनकी सामुदायिक समझ और प्राकृतिक संसाधनों के तालमेल का अनुमान था. इस नजरिये को आगे बढ़ाते हुए जवाहरलाल नेहरू ने प्रधानमंत्री बनने के बाद आदिवासी समुदायों के कल्याण और विकास के समग्र दृष्टिकोण के तहत आदिवासी स्वशासन के पाँच सूत्र दिए. इन्हें ‘आदिवासी पंचशील’ के रूप में भी जाना गया. २ अक्टूबर, १९५४ को मुख्यमंत्रियों को उन्होंने एक पत्र लिखकर इन पाँच सूत्रों को अमल में लाने का सुझाव दिया:
पहला, आदिवासी समुदायों की संस्कृति व पहचान का सम्मान किया जाए.